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झारखंड में मतदाता सूची में संशोधन को लेकर एक भी अपील लंबित नहीं

निर्वाचक संतुष्टि का संकेत, चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मिसाल


रांची।
झारखंड में मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता को लेकर एक उल्लेखनीय उपलब्धि सामने आई है। राज्य के किसी भी जिला निर्वाचन पदाधिकारी (डीईओ) या मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) कार्यालय के समक्ष मतदाता सूची में संशोधन से संबंधित एक भी अपील वर्तमान में लंबित नहीं है। यह निर्वाचन व्यवस्था में लोगों के बढ़ते विश्वास और समर्पित चुनाव कर्मियों के कार्य की स्पष्ट पुष्टि है।

भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) की नियुक्ति की जाती है। साथ ही, प्रत्येक राजनीतिक दल को उस बूथ पर अपना बूथ लेवल एजेंट नामित करने का अधिकार होता है।

मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार करने के लिए क्रमशः फॉर्म 6, 7 और 8 का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद बीएलओ द्वारा संबंधित आवेदन का सत्यापन किया जाता है और अंतिम निर्णय निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआरओ) द्वारा लिया जाता है।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24(क) के तहत ईआरओ के निर्णय से असहमति होने पर कोई भी व्यक्ति जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पास प्रथम अपील तथा सीईओ के पास द्वितीय अपील दायर कर सकता है। लेकिन वर्तमान में राज्य भर से इस प्रकार की कोई भी अपील प्राप्त नहीं हुई है।

झारखंड में करीब 2 करोड़ 62 लाख मतदाता पंजीकृत हैं और 29,000 से अधिक बीएलओ ने विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रमों के दौरान घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन किया। इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों के नियुक्त बूथ एजेंट्स ने भी सक्रिय सहयोग दिया।

यह स्थिति दर्शाती है कि झारखंड की मतदाता सूची लगभग पूर्ण संतुष्टि की स्थिति में है और निर्वाचन प्रक्रिया में लोगों का भरोसा मजबूत हुआ है।

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