गुरुनानक सेवक जत्था द्वारा आयोजित नौवां महान कीर्तन दरबार में हुआ कथावाचन और शबद गायन, एक हजार श्रद्धालु हुए शामिल
रांची। कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा में शनिवार, 26 अप्रैल को गुरु नानक सेवक जत्था एवं सत्संग सभा के तत्वावधान में श्री गुरु अंगद देव जी एवं श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नौवें महान कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ रात्रि 8 बजे से विशेष दीवान के रूप में हुआ।
दीवान की शुरुआत स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल ने "सतगुरु की सेवा सफल है जे को करे चित लाई..." शबद गायन से की। इसके पश्चात हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी ने "थिरु घरि बैसहु हरि जन पिआरे..." तथा "ब्रह्म गिआनी सदा निरलेप..." जैसे पावन शबदों का गायन कर साध संगत को आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान की।
गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह जी ने कथा वाचन के दौरान गुरु अंगद देव जी की जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु अंगद देव जी का वास्तविक नाम 'लहणा' था, जिन्हें गुरु नानक देव जी ने उनकी भक्ति और सेवा भावना से प्रभावित होकर 'गुरु अंगद' नाम दिया और सिख पंथ का द्वितीय गुरु नियुक्त किया। उन्होंने लंगर सेवा को व्यापक बनाया और गुरु नानक के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया।
विशेष आकर्षण के रूप में प्रसिद्ध रागी जत्था भाई जसपाल सिंह जी (दिल्ली) ने "दुख भंजन तेरा नाम जी...", "निरवैर निराला सतगुरु पूरा अगम है..." और "मेरा सतगुरु प्यारा कित बिद मिलै..." जैसे अनेक शबदों का मधुर गायन कर संगत को भावविभोर कर दिया। बीच-बीच में संगत द्वारा वाहेगुरु का जाप भी करवाया गया।
रात्रि 12 बजे श्री आनंद साहिब के पाठ, अरदास, हुकुमनामा और कढ़ाह प्रशाद वितरण के साथ दीवान का समापन हुआ। इस दौरान सत्संग सभा द्वारा रात 9 बजे से गुरु का अटूट लंगर आरंभ किया गया, जिसमें लगभग एक हजार श्रद्धालुओं ने संगत में बैठकर प्रसाद ग्रहण किया।
सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने जानकारी दी कि रविवार, 27 अप्रैल को दीवान सुबह 10:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक सजेगा। इसके बाद भी अटूट लंगर का आयोजन रहेगा। साथ ही गुरुद्वारा साहिब के बेसमेंट में प्रातः 11 बजे से सायं 4 बजे तक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर भी आयोजित किया जाएगा।
आज के दीवान में सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल सहित सुरेश मिढ़ा, हरविंदर सिंह बेदी, हरगोबिंद सिंह, लेखराज अरोड़ा, नरेश पपनेजा, प्रेम मिढ़ा, अशोक गेरा, चरणजीत मुंजाल, वेद प्रकाश मिढ़ा, मोहन काठपाल, लक्ष्मण दास मिढ़ा, राजकुमार सुखीजा, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, मोहन लाल अरोड़ा, नीरज गखड़, अश्विनी सुखीजा, रमेश गिरधर, सागर थरेजा, हरविंदर सिंह हन्नी, नानक चंद अरोड़ा, जीवन मिढ़ा, सुभाष मिढ़ा, कंवलजीत मिढ़ा, जीतू अरोड़ा, नवीन मिढ़ा, आशु मिढ़ा, ललित गखड़, राकेश गिरधर, महेंद्र अरोड़ा, हरजीत बेदी, ईशान काठपाल, कमल मुंजाल, रमेश तेहरी, सूरज झंडई, करण अरोड़ा, पीयूष मिढ़ा, कमल तलेजा, जयंत मुंजाल, वंश डावरा, कनिष गाबा, इनिश काठपाल, हर्षित बजाज, पीयूष तलेजा, विनीत खत्री, ऋषभ शर्मा, जतिन मिढ़ा, जयंत छोकरा, अमन डावरा, विन्नी काठपाल, बख्श मिढ़ा, प्रथम मिढ़ा, ग्रंथ मिढ़ा समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं सदस्य उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं: