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एईएस-जेई से बच्चों को बचाने के लिए प्रशासन ने कसी कमर, डीडीसी ने दिए सख्त निर्देश

स्वास्थ्य संस्थानों में डेडीकेटेड वार्ड, दवाओं का पर्याप्त भंडारण, गांवों में जागरूकता अभियान तेज

मधुबनी: जिले में गर्मी के मौसम में बढ़ते एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) और जेई (Japanese Encephalitis) के संभावित खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट हो गया है। सोमवार को उप विकास आयुक्त (डीडीसी) दीपेश कुमार की अध्यक्षता में जिलास्तरीय टास्क फोर्स की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक हुई। बैठक में सभी विभागों को समन्वय के साथ युद्धस्तर पर काम करने का निर्देश दिया गया।

डीडीसी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में डेडीकेटेड वार्ड बनाए जाएं, जरूरी दवाओं का भरपूर स्टॉक रखा जाए और मरीजों के त्वरित इलाज के लिए गोल्डन आवर का पालन सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा गांवों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है, ताकि बीमारी के फैलाव को रोका जा सके।

गंभीर स्थिति से निपटने को तैयार स्वास्थ्य विभाग

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने बताया कि अप्रैल से जुलाई के बीच एईएस और जेई के मामले तेजी से बढ़ते हैं, विशेषकर 6 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में। इस गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए:

  • सभी पीएचसी और सीएचसी में 2-2 बेड आरक्षित किए गए हैं।
  • अनुमंडलीय अस्पतालों में 4-4 बेड और
  • सदर अस्पताल मधुबनी में 10 बेड को एईएस मरीजों के लिए सुरक्षित रखा गया है।

उन्होंने बताया कि अस्पतालों में 24x7 इमरजेंसी सेवा को सुनिश्चित किया जा रहा है। साथ ही आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी सेविकाओं और जीविका दीदियों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है कि वे लक्षण दिखने पर तुरंत मरीज को अस्पताल तक पहुंचाएं।

लक्षणों की पहचान और त्वरित इलाज पर जोर

डॉ. सिंह ने बताया कि चमकी बुखार के प्रमुख लक्षणों में अचानक तेज बुखार, शरीर में अकड़न, बेहोशी, दौरे आदि शामिल हैं। इस बीमारी में समय पर इलाज ही जान बचाने का एकमात्र उपाय है।

बच्चों को कड़ी धूप से बचाने, अधपके फल न खाने देने और साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह दी गई है। साथ ही अभिभावकों को कहा गया है कि लक्षण दिखते ही सरकारी अस्पताल में इलाज कराएं, खुद से घरेलू इलाज न करें।

महादलित टोलों पर विशेष फोकस

डीडीसी दीपेश कुमार ने विशेष रूप से महादलित बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसके तहत विकास मित्र, आंगनबाड़ी सेविकाएं, सहायिकाएं, जीविका दीदियां और स्थानीय जनप्रतिनिधि मिलकर हर घर तक संदेश पहुंचाएंगे।

डीडीसी ने यह भी कहा कि नियंत्रण कक्ष (Control Room) हर हाल में 24 घंटे सक्रिय रहना चाहिए ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता पहुंचाई जा सके।

बैठक में उपस्थित अधिकारी और एजेंसियां

इस समीक्षा बैठक में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा, सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर, डीपीएम पंकज मिश्रा, पुरुषोत्तम कुमार, अमर कुमार, डिंपू कुमार, यूनिसेफ के प्रतिनिधि प्रमोद कुमार झा, पिरामल के धीरज कुमार सिंह, सी-फार के अमन कुमार, यूएनडीपी के अनिल कुमार सहित कई अधिकारी और हेल्थ पार्टनर एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

सभी ने एईएस-जेई के नियंत्रण के लिए समन्वित प्रयास करने पर सहमति जताई और कार्य योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने का संकल्प लिया।

एईएस-जेई से बच्चों को बचाने के लिए प्रशासन ने कसी कमर, डीडीसी ने दिए सख्त निर्देश एईएस-जेई से बच्चों को बचाने के लिए प्रशासन ने कसी कमर, डीडीसी ने दिए सख्त निर्देश Reviewed by PSA Live News on 5:32:00 pm Rating: 5

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