परशुराम जयंती समारोह में पूर्व राज्यमंत्री वीरेंद्र तिवारी बोले — भगवान परशुराम का आदर्श जीवन आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत
बाराबंकी। श्री दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर परिसर में भगवान परशुराम जयंती समारोह का भव्य आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यमंत्री वीरेंद्र तिवारी तथा विशिष्ट अतिथि भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रामबाबू द्विवेदी रहे। दोनों वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में भगवान परशुराम के जीवन दर्शन को आज के समाज में भी अत्यंत प्रासंगिक और अनुकरणीय बताया।
अपने संबोधन में श्री तिवारी ने कहा कि भगवान परशुराम ने अन्याय, अधर्म और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का जो मार्ग दिखाया, वह आज के युग में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि परशुराम जी का जीवन तप, त्याग, ज्ञान और शक्ति का अद्भुत उदाहरण है, जिससे हर व्यक्ति को शिक्षा लेनी चाहिए।
रामबाबू द्विवेदी ने भगवान परशुराम के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम 'राम' था। भगवान शिव से परशु अस्त्र प्राप्त करने के पश्चात वे 'परशुराम' कहलाए। उन्होंने महर्षि ऋचीक के आश्रम में आरंभिक शिक्षा प्राप्त की तथा कैलाश पर्वत पर भगवान शिव से विशेष अस्त्र-विद्या सीखी। परशुराम ने भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महावीरों को शस्त्र विद्या सिखाकर धर्म की रक्षा के लिए महान योगदान दिया।
श्री द्विवेदी ने कहा कि भगवान परशुराम केवल शस्त्रों के ही नहीं, अपितु विद्या, तपस्या और समाज सुधार के भी महान प्रतीक रहे हैं। वे आजीवन एक पत्नी व्रत के पक्षधर थे और उन्होंने अपने शिष्यों के साथ मिलकर विराट नारी जागृति अभियान का संचालन भी किया। यही नहीं, भविष्य में जब कल्कि अवतार होंगे, तब भगवान परशुराम ही उन्हें शस्त्र विद्या प्रदान करेंगे।
समारोह का शुभारंभ भगवान परशुराम की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि अर्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम के आयोजक देवेश शुक्ला ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रमोद तिवारी, पत्रकार परिषद इंडिया के जिला अध्यक्ष बी त्रिपाठी, भाजपा नेता प्रवेश वर्मा समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं गणमान्यजन इस अवसर पर उपस्थित रहे।
समारोह में सभी ने भगवान परशुराम के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया और उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। कार्यक्रम का समापन जयघोष एवं प्रसाद वितरण के साथ हुआ।

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