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मोहिनी एकादशी के अवसर पर ब्रह्मांडनायक का उद्यास्तमन सेवा हुआ



रांची । दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में चैत्र, कृष्णपक्ष, मोहिनी एकादशी, श्रवण नक्षत्र और शिवयोग के अवसर पर 25 मार्च मंगलवार को भगवान श्रीमन्नारायण के प्रिय तिथि एकादशी के पुण्य अवसर पर सर्वांतर्यामी सर्वपापहारी भगवान् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर का उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक हुआ।दूध ,दधि,हल्दी,चंदन,शहद,नारियल-डाभयुक्त जल ,गंगा और गंडकी के संगम तीर्थ का जल तथा केसर ,तुलसीदल इत्यादी औषधियों के मिश्रित जल से क्रमानुसार महाभिषेक कराया गया । पुरुषसूक्त ,श्रीसूक्त ,भूसूक्त आदि वेद के ऋचाओं तथा उपनिषदादि मंत्रों के उच्चारण पूर्वक भगवान् के चारों व्यूह समेत श्रीश्रीदेवी लक्ष्मीजी, श्रीभूमिदेवी लक्ष्मी, आयुधवर चक्रराज सुदर्शन का सहस्त्रधारा, कुंभधारा ,शंखधारा और चक्रधाराके उपक्रम  से बारी-बारी महाभिषेक हुआ। यह वैभवपूर्ण दिव्य मनोहर दृश्य श्रद्धावनत जजमान परिवार समेत अन्य उपस्थित भक्तों को मुग्ध कर रहा था। इसके बाद  - देव केशव  तन्नुसमायुक्ते यज्ञवर्णसमन्विते ।स्वर्णवर्णप्रभे देव वाससी तव केशव।।


अर्थात् - हे देव केशव यह दिव्य तंतुओं से युक्त यज्ञवर्णसमन्वित तथा सुनहले रंग का और सुनहले  प्रभाववाली जो वस्त्र आपकी सेवा में समर्पित है। सच्चिदानंद स्वरूप श्रीमन्नारायण आप इसे स्वीकार करें ।

इस प्रकार मंत्रों से विलेपन करके यज्ञोपवीत धारण कराकर मंत्र से ही अलंकार समर्पण हुआ । फिर दिव्य सुवासित  पुष्प- मालाओं से भगवान का श्रृंगार निवेदन हुआ तथा भगवान को साँवा दाना की खीर, कूटू आटे , आलू और कद्दू की पकौड़ी ,फल , मेवा और मखाना का बालभोग निवेन हुआ ।फिर नक्षत्र, कुंभ और कपूर की वाती से महाआरती की गई। देशिक स्तोत्राणि, वेद की ऋचाएँ  और उपनिषद् आदि के मंत्रों से भगवान के स्तुति की गयी।

आज उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक के यजमान  : श्री महावीर प्रसाद-निर्मला नरसरिया  राँची निवासी हुये । अर्चक श्री सत्यनारायण गौतम श्री मुकेश आचार्य और श्री नारायण दास जी ने दिन भर के अनुष्ठान को विधिवत्त संपन्न कराया उपस्थित रहे : स्रवश्री राम अवतार नरसरिया अनूप अग्रवाल प्रदीप नरसरिया रंजन सिंह गौरी शंकर साहब सुशील लोहिया सुशील पोद्दार सुरेश ठाकुर आदि के अतिरिक्त भारी संख्या में व्रतधारी श्रद्धालु भक्तों ने भगवान की  पुष्प अर्चना, कुमकुम अर्चना और सहस्त्रनाम की अर्चना अपने- अपने नाम और गोत्र से संकल्प कराकर कराई।

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