जीतना आधुनिक बनना है बन लीजिये पर एक दिन प्रकृति सबक सिखाती ही है और सब कुछ एक दिन ले जाती है

 यह कहानी है उस नदी का जहाँ हज़ारों साल से यमुना अविरल बह रही थी। 


नदी के तट को छूकर लाल क़िला बना। फिर नदी को पीछे धकेलने का सिलसिला शुरू हुआ। नदी के पश्चिमी तट पर राजघाट, शांति वन बने। इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम, दिल्ली का सचिवालय, दो बिजली घर बने। ISBT बना। कई कॉलोनियाँ बस गईं। 



नदी बेचारी सिमटती चली गई। 


पूर्वी तय पर नदी जहां बहती थी वहाँ सबसे पहले अवैध तरीके से स्वामीनारायण मंदिर बना। फिर कॉमनवेल्थ विलेज, मेट्रो यार्ड, मेट्रो स्टेशन, फिर अपार्टमेंट। नदी बेचारी और सिंकुड गई। बेचारी नाले की तरह बहने लगी। 


फिर एक दिन नदी मचल गई। उसे कुछ याद आया। उसका मन अपने पुराने इलाक़ों से बहने का हुआ। 


इसे ही दिल्ली की बाढ़ कहा जाता है। 


दिल्ली की पुरानी तस्वीर ©️ ब्रिटिश म्यूज़ियम के कलेक्शन से है। 


जहां पानी था, वहीं अब पानी है।

जीतना आधुनिक बनना है बन लीजिये पर एक दिन प्रकृति सबक सिखाती ही है और सब कुछ एक दिन ले जाती है जीतना आधुनिक बनना है बन लीजिये पर एक दिन प्रकृति सबक सिखाती ही है और सब कुछ एक दिन ले जाती है Reviewed by PSA Live News on 11:20:00 am Rating: 5
Blogger द्वारा संचालित.