भुरकुंडा में अवैध माइनिंग और प्रदूषण को लेकर न्यायालय हुई सख्त, एक सप्ताह में कारवाई को सुनिश्चित करने का दिया निर्देश
रांची । रामगढ़ जिले के भुरकुंडा में कोयला एवं लौह-अयस्क के ट्रांसपोर्टेशन एवं अवैध माइनिंग से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम को लेकर भुरकुंडा के समाजसेवी संतोष कुमार पाठक की जनहित याचिका पर सुनवाई गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में हुई । इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिया कि वहाँ प्रदूषण की रोकथाम को लेकर कोर्ट के द्वारा जो आदेश पिछली सुनवाई मे दिया गया था, उसका अनुपालन एक सप्ताह में सुनिश्चित करें। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 11 मई निर्धारित की। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राम शुभग सिंह की ओर से न्यायालय को बताया गया कि सरकार के द्वारा अभी तक भुरकुंडा में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार और राज्य प्रदूषण बोर्ड न्यायालय के आदेश के प्रति बिलकुल गंभीर है । भुरकुंडा में कोल ट्रांसपोर्टिंग और लौह अयस्क के ट्रांसपोर्टिंग से प्रदूषण लगातार जारी है। अभी भी वहाँ अवैध माइनिंग हो रही है एवं 50 साल से ज्यादा पुराने उद्योगों के कारण वहाँ का प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है, जिससे वहाँ रहने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
पिछले 16 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय के द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया गया था कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए भुरकुंडा में लगातार पानी का छिड़काव करने, पेड़ लगाने, बाउंड्री लगाने, प्रदूषण के स्तर की लगातार मॉनिटरिंग करने, प्रदूषण के स्तर को घटाने आदि विषयों पर काम किया जाना है। परंतु न्यायालय के निर्देश के बावजूद राज्य प्रदूषण बोर्ड और राज्य सरकार के द्वारा इस दिशा में अभी कुछ कोई भी कारवाई नहीं किया गया ।
अब अगले 11 मई को राज्य प्रदूषण बोर्ड कुछ कारवाई भी दिखाती है या फिर खाली हाथ न्यायालय में और समय देने की मांग करती है यह तो उसी दिन पता चल पाएगा । साथ न्यायालय अपने निर्देशों के अनुपालन के लिये अपना रुख और कडा अख़्तियार करती है या कुछ और समय देकर थोड़े दिनों के लिये राहत दे देती है यह भी अगले सुनवाई के दिन ही साफ हो पाएया । फिलहाल आम जनता के दिमाग में अभी यह बड़ा सवाल है, जिसका उत्तर जानने के लिये 11 मई तक का इंतजार आवश्यक है ।

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